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जल प्रदूषण किसे कहते हैं ? जल प्रदूषण होने के क्या कारण है , रोकने के उपाय – Water Pollution Kya Hai | Water Pollution Essay in Hindi – Essay on water Pollution in Hindi

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Hello दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के जरिये बताने जा रहे हैं , एक गंभीर मुद्दे के बारे में। आज के समय की सबसे गंभीर समस्या जल प्रदूषण है। इसके कारण पूरे विश्व में जल प्रदूषण के कारण लोगों की मौते भी हो रही है। तो आइए आज के इस ब्लॉग में आपको Essay on water Pollution in Hindi में विस्तार से इस पोस्ट में दी गई है ।

Water Pollution Essay in Hindi

Water Pollution Essay in Hindi

जल का हमारे जीवन में क्या महत्व है ?

पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए सबसे मुख्य स्त्रोत जल है। जल से ही धरती पर जीवन का निर्वहन होता है। कोई भी जीव-जन्तु पशु – पक्षी कुछ दिन तक बिना भोजन के गुजार सकता है लेकिन एक मिनट भी बिना पानी और ऑक्सीजन के जीवन की कल्पना करना मुश्किल है । अपनी धरती पर लगभग 71% जल है ।इस का लगभग 97 प्रतिशत जल सागर और महासागरो में पाया जाता है। इस बचे हुए 3 प्रतिशत में से 2 प्रतिशत जल ग्लेशियर और वर्फ के रूप में पाया जाता है। मात्र 1 प्रतिशत जल ही हमारे पीने योग्य बचता है। जल का मुख्य स्त्रोत झीलें, नदियां, समुद्र, नहरे आदि है। धरती का यह घटक हम सभी के लिए बहुत आवश्यक है। जल मनुष्य की मुलभुत आवश्यकताओं में एक है।

जल प्रदूषण क्या है ? Water Pollution Kya Hai

कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। परंतु मानव क्रियाओं के द्वारा जल के रासायनिक, भौतिक तथा जैविक गुणों में लगाया गया परिवर्तन जल प्रदूषण कहलाता है। अर्थात जल प्रदूषण जल में विषैले हानिकारक पदार्थों के अस्तित्व के कारण जल की गुणवत्ता का परिवर्तन है। प्रदूषण सभी प्रकार का घातक होता है लेकिन जल प्रदूषण ने हमारे देश के लोगों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। जल प्रदूषण से तात्पर्य होता है नदी, झीलों, तालाबों, भूगर्भ और समुद्र के पानी में ऐसे पदार्थ मिल जाते हैं जो पानी को जीव-जंतुओं और प्राणियों के प्रयोग करने के लिए योग्य नहीं रहता है वह अयोग्य हो जाता है। इसी वजह से हर एक जीवन जो पानी पर आधारित होता है वह बहुत अधिक प्रभावित होता है।

नदियों और तालाबों के पानी के दूषित होने की वजह से उसमें रहने वाले जीव-जंतु मर जाते हैं और अगर उस पानी को कोई पशु या मनुष्य पीता है तो पशु मर जाता है और मनुष्य बहुत सी बिमारियों का शिकार बन जाता है। उद्योग धंधों के अलावा बहुत से और कारण हैं जिनकी वजह से जल प्रदूषण होता है। भौतिक अशुद्धियाँ जल के मलिनीकरण द्वारा धुंधलापन पैदा कर जलीय पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

जल प्रदूषण होने के क्या कारण हैं ? Water Pollution kaise Hota Hai

जल प्रदूषण अर्थात जल प्रदूषित होने के कई कारण हैं। प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषित होता है तथा मानव के क्रिया कलापों द्वारा भी जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषण का सीधा सम्बन्ध जल के अत्याधिक उपयोग से है। वर्तमान समय में तीव्र औद्योगिक विकास, जनसंख्या वृद्धि, जल स्रोतों का दुरुपयोग, वर्षा की मात्रा में कमी आदि मानवकृत एवं प्राकृतिक कारणों से जल प्रदूषण की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। प्राकृतिक प्रदूषण के कारण और उदाहरण बहुत सीमित है पर मानव द्वारा किये गए जल प्रदूषण के अनेक उदाहरण है।

Pollution kya hai Essay on pollution in Hindi

प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषण :-

प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषण पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन चक्र नियमन के दौरान होने वाली घटनाएँ कई तरह के नए बदलावों के साथ सतत चलती रहती हैं। लेकिन कभी-कभी क्षेत्र विशेष में ये प्राकृतिक क्रियाएँ प्रदूषण द्वारा विनाश का कारण बन जाती हैं। उदाहरण के लिए भू स्खलन, मृदा अपरदन , भूक्षरण खनिज पदार्थ, पौधों की पत्तियों एवं ह्यूमस पदार्थ ,ज्वालामुखी उद्धार तथा पौधों एवं जन्तुओं के विघटन एवं वियोजन प्राणियों के मल-मूत्र आदि के मिलने के कारण होता है। जल, जिस भूमि पर एकत्रित रहता है, यदि वहाँ की भूमि में खनिजों की मात्रा अधिक होती है तो वे खनिज जल में मिल जाते हैं।

इनमें आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम एवं पारा आदि (जिन्हें विषैले पदार्थ कहा जाता है) आते हैं। यदि इनकी मात्रा अनुकूलतम सान्द्रता से अधिक हो जाती है तो ये हानिकारक हो जाते हैं। इस अवसाद के कारण नदियों , तालाबों, नहरों तथा झीलों के गंदेपन में वृद्धि हो जाती है। 

मानव के क्रियाकलापों द्वारा जल प्रदूषण :-


(1) मानव की क्रिया कलापों के द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदूषकों के द्वारा पीने के पानी का मैलापन ही जल प्रदूषण है। जल कई स्रोतों के माध्यम से पूरा पानी प्रदूषित हो रहा है। जल प्रदूषण का एक सबसे प्रमुख कारण हमारे उद्योग धंधे होते हैं। हमारे उद्योग धंधों, कल-कारखानों के जो रासायनिक कचरा निकलता है उसे सीधे नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है। जो कचरा नदियों और तालाबों में छोड़ा जाता है वह बहुत अधिक जहरीला होता है और यह नदियों और तालाबों के पानी को भी जहरीला बना देता है।

(2) कृषि-कार्य हेतु उपयोग में लिये जाने वाले उर्वरक, जिनके पानी में मिलने से जलीय पौधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती है। तत्पश्चात ये जलीय वनस्पति पानी में सड़कर पानी में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग कर उसे धीरे-धीरे कम या समाप्त कर देती है। इस प्रकार वनस्पतियों के सड़ने से पानी से दुर्गन्ध आने लगती है। किसानों के द्वारा खेती में उपयोग होने वाला रासायनिक नाइट्रेट खाद जब पोखर, तालाब तथा नदियों में दाखिल हो जाता है तो उससे जल प्रदूषण हो जाता है । भारत की अधिकतर झीलें एवं जलाशय इससे प्रभावित हैं ।

(3) रोजमर्रा के दैनिक कार्यों जैसे खाना पकाने, नहाने, कपड़ा धोने एवं सड़े हुए फल, सब्जियाँ, रसोई घरों से निकली चूल्हे की राख, विभिन्न तरह का कूड़ा-करकट अन्य सफाई कार्यों में विभिन्न पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जो अपशिष्ट पदार्थों के रूप में घरेलू नालियों में बहा दिए जाते हैं जो अन्ततः जलस्रोतों में जाकर गिरते हैं। वर्तमान समय यह दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है और यही जल प्रदूषण का स्थाई कारण बनते हैं।

(4) कई लोग जो नदी या जलाशयों के पास बसे होते हैं वो लोग किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उसे जलाने की अपेक्षा उसे पानी में बहा देते हैं और लाश के सड़ने से पानी में विषैले कीटाणुओं की संख्या और अधिक बढ़ जाती है और प्रदूषण को बहुत अधिक मात्रा में बढ़ा दिया जाता है। जिस वजह से पानी दूषित हो जाता है और यही विनाश का कारण बनता है।

(5) जल में यदि बैक्टीरिया, शैवाल एवं वायरस आते हैं और इनकी तादाद यदि लगातार बढ़ने लगती है तो हम कह सकते है की जल प्रदूषित हो रहा है। कुछ शैवाल, बैक्टेरिया यदि पानी मे रहते हैं तो वह औषधि का काम करते हैं परंतु अधिक मात्रा में होने से यह जल को हानिकारक बना देते हैं।

जल प्रदूषण से होने वाली बिमारियाँ :-

प्रदूषित जल पीने से कई प्रकार की बिमारियाँ फैलती हैं। पीने वाले पानी के साथ-साथ रोगवाहक बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ मानव शरीर में पहुँचकर हैजा, टाइफाइड, शिशु प्रवाहिका, पेचिश, पीलिया, अतिशय, यकृत एप्सिस, एक्जिमा जियार्डिया, Leptospirosis, जैसे भयंकर रोग उत्पन्न करते है और यह जल के साथ रेडियोधर्मी पदार्थ भी मानव शरीर में प्रविष्ट कर यकृत, गुर्दे एवं मानव मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। तथा दूषित जल के सेवन या अनुप्रयोग से उत्पन्न जलजनित रोग, वैश्विक स्तर पर मौतों और अस्पताल में भर्ती होने का प्रमुख कारण है।

यहां तक ​​कि दूषित पानी के अप्रत्यक्ष सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। उदाहरण के लिए, उन मछलियों को खाना जो दूषित पानी में रह रही हैं, सालों से दिल की बीमारियों, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।गंदगी और संक्रमण – बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी जीवों अदृश्य रूप से पानी को दूषित करते हैं और बीमारी का कारण बनते हैं। अधिकतर यह संक्रमण पशु और मानव अपशिष्ट के संपर्क में आने वाले पानी के माध्यम से होता है। 

जल प्रदूषण को रोकने के उपाय :-

(1) जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु सबसे आवश्यक बात यह है कि हमें जल प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली प्रक्रियाओं पर ही रोक लगा देनी चाहिए। अर्थात जल प्रदूषण की स्थिति से बचने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय यही है कि स्वच्छ जलस्रोतों में प्रदूषित जल को मिलने से रोका जाए। इस हेतु प्रत्येक स्रोत से निकलने वाले दूषित जल के समुचित उपचार के उपरान्त उसे किसी अन्य उपयोग में लाना अथवा प्रक्रिया में पुनर्चक्रित करना उचित होगा। इस प्रकार निर्धारित मानदंडों के अनुरूप उपचारोपरान्त उपचारित जल को यदि आवश्यक हो तभी जलस्रोत में प्रवाहित किया जाना चाहिए।

(2) कारखानों व औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों के निष्पादन की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ इन अवशिष्ट पदार्थों को निष्पादन से पूर्व दोषरहित किया जाना चाहिए। उद्योगों को जल प्रदूषण फैलाने से रोकना आवश्यक है । इसके लिये जो कानूनी प्रावधान हैं उन्हें कठोरता से लागू किया जाये ।

(3) इसके अतिरिक्त जलस्रोतों में होने वाली प्रदूषणकारी गतिविधियों जैसे नदियों/तालाबों पर शौच आदि क्रियाकलाप; घरेलू कचरा, मूर्तियाँ या पूजन सामग्री का विसर्जन, शवों को नदियों में बहाना आदि पर अंकुश लगाना चाहिए।

(4) जल प्रदूषण के प्रति सामान्य जन चेतना पैदा की जाये, जिससे प्रारंभिक अवस्था में ही इसे रोका जा सके।आम आदमी की आदतों जैसे मल को बहाना, जल स्रोतों के किनारे गंदगी करना आदि को बदलना आवश्यक है ।

(5) दैनिक कार्यों द्वारा घरों से जो पानी निकलता है उसमें कम-से-कम कैमिकल का प्रयोग करें जिससे कि वह भूमि में जाकर उसे दूषित न कर सके। शहरों, कस्बों और गांवों में कम-से-कम साल में एक बार तालाबों और नदियों को साफ जरुर करना चाहिए और तालाबों के आस-पास के कचरे को हटा देना चाहिए।

निष्कर्ष :-

जल प्रदूषण आज के समय में पूरे विश्व में बहुत बड़ी समस्या बना हुआ है। ऐसी स्थिति में हमें तुरंत ही बहुत बड़े कदम उठाने होंगे। प्राकृतिक वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है। हमें इस प्रदूषण की रोकथाम के लिए स्वयं को प्रदूषण के प्रति जागरूक होना चाहिए और लोगों को तथा सरकार को भी इसके प्रति जागरूक होना चाहिए। इस प्रदूषण को जिम्मेदारी मनुष्य की है। अगर मनुष्य प्रदूषण को रोकने में सक्षम होता है तो हमारी नदियां, तालाब , झीलें आदि फिर से स्वच्छ हो जाएंगी। अगर हम इस मामले में देरी करेंगे तो यह और अधिक घातक सिद्ध होगा। Water Pollution Essay in Hindi

Water Pollution FAQS

  • जल प्रदूषण क्या है ? What is water pollution?
  • जल प्रदूषण होने के क्या कारण हैं ? What is the reason of Water pollution
  • जल प्रदूषण के प्रभाव बताइये। What is the effect of Water pollution?
  • जल प्रदूषण से होने वाली बिमारियाँ बताइये। ( Water pollution Disease)
  • जल प्रदूषण को रोकने के उपाय ( Water pollution prevention)

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