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भारत में ऋतुऐं कितने प्रकार की होती हैं? शीत ऋतु तथा ग्रीष्म ऋतु के बारे में विस्तृत वर्णन | types of seasons in india in hindi – How many Seasons in India in Hindi

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How many Seasons in India explain in Hindi

Hii दोस्तों स्वागत है कैरियर जानकारी में। आज हम इस लेख के जरिये हम आपको बताने वाले हैं भारत की ऋतुओं के बारे में। इसे विद्यार्थी परीक्षा के लिए मदद ले सकते हैं। यहां पर हम पूरी कोशिश करेंगे । यहाँ मौसम की जानकारी भी आप ले पायेंगें । साथ ही इन भारतीय ऋतुओं के विषय में विस्तार से भी बताया गया है जिससे आपको ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त हो सके।

मौसम ( Mausam) :-

मौसम वायुमंडल की वह क्षणिक अवस्था है, जबकि जलवायु का तात्पर्य अपेक्षाकृत लंबे समय की मौसमी दशाओं के औसत से होता है। मौसम जल्दी जल्दी बदलता है, जैसे कि एक दिन में या एक सप्ताह में, परंतु जलवायु में बदलाव 30 अथवा इससे भी अधिक वर्षों में होता है। भारत में ऊष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है। मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसिम शब्द से हुई है। मौसिम शब्द का अर्थ पवनों की दिशा का मौसम के अनुसार उलट जाना है। भारत में अरब सागर एवं बंगाल की खाडी से चलने वाली हवाओं की दिशा में ऋतुवत परिवर्तन हो जाता है, इसी संदर्भ में भारतीय जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है।

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मानसूनी जलवायु की विशेषता एक विशिष्ट मौसमी प्रतिरूप होता है। इसी विशिष्ट मौसमी प्रतिरूप को ऋतु कहा जाता है।एक ऋतु से दूसरी ऋतु में मौसम की अवस्थाओं में बहुत अधिक परिवर्तन होता है।विशेषकर देश के आंतरिक भागों में, ये परिवर्तन अधिक मात्रा में परिलक्षित होते हैं। तटीय क्षेत्रों के तापमान में बहुत अधिक विभिन्नता नहीं होती है, यद्यपि यहाँ वर्षा के प्रारूपों में भिन्नताएं अवश्य होती हैं। शीत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु या मानसून के आगमन की ऋतु तथा मानसून प्रत्यावर्तन या वापसी की ऋतु ।

ऋतुओं के प्रकार ( Type of Seasons) | types of seasons in india in hindi

भारतीय परंपरा के अनुसार एक वर्ष को द्विमासिक छ ऋतुओं में बांटा जाता है। हमारा भारत देश यह ऋतुओं का देश हैं | इस देश में हर एक ऋतु का आगमन अपने – अपने समय पर होता हैं | इस भारत देश की भौगोलिक रचना विविधता से भरी हुई हैं | इस देश में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, पतझड़ और बसंत यह ऋतु क्रमवार आती हैं । इन सभी ऋतुओं का कालावधी दो महीने तक ही रहता हैं | इन सभी ऋतुओं के कारण पृथ्वी हर साल बदलती रहती हैं 

भारत की परंपरागत ऋतुऐं :-

(1) बसंत ऋतु = चैत्र – बैसाख = मार्च – अप्रैल

(2) ग्रीष्म ऋतु = ज्येष्ठ – आषान = मई – जून

(3) वर्षा ऋतु = श्रावन – भाद्र = जुलाई – अगस्त

(4) शरद ऋतु = आश्विन – कार्तिक = सितंबर – अक्टूबर

(5) हेमंत ऋतु = मार्गशीर्ष – पौष = नवंबर – दिसंबर

(6) शिशिर ऋतु = माघ – फाल्गुन = जनवरी – फरवरी

उत्तरी और मध्य भारत में लोगों द्वारा अपनाये जाने वाले इस ऋतु चक्र के आधार उनका अपना अनुभव और मौसम के घटक का प्राचीन काल से चला आ रहा ज्ञान है। ऋतुओं की उपर्युक्त व्यवस्था दक्षिण भारत की ऋतुओं से मेल नहीं खाती, जहाँ ऋतुओं में थोड़ी भिन्नता पाई जाती है।

मौसम वैज्ञानिक वर्ष को चार ऋतुओं में बांटते हैं –

(1) शीत ऋतु ( Winter Season ) :- ( 15 दिसंबर से 15 मार्च )

(2) ग्रीष्म ऋतु ( Winter Season) :- ( 16 मार्च से 15 जून ) तथा कुछ क्षेत्रीय विविधताओं के साथ

(3) मानसून का आगमन ( दक्षिणी – पश्चिमी मानसून ) या वर्षा ( 16 जून से 14 दिसंबर)

( 4) मानसून की वापसी ( मानसून का निवर्तन ) या शरद ऋतु (16 सितंबर से 14दिसंबर )

ये तिथियाँ एक सामान्य सीमा रेखा को तय करती हैं। मानसूनी पवनों के आगमन एवं प्रत्यावर्तन में होने वाला विलंब इनको पर्याप्त रूप से प्रभावित करता है।

शीत ऋतु ( Winter Season) :-

आमतौर पर उत्तर भारत में शीत ऋतु नवंबर के मध्य से आरम्भ होती है।भारत के उत्तरी भाग में दिसंबर और जनवरी सर्वाधिक ठंडे महीने होते हैं। इस समय उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में औसत दैनिक तापमान 21° सेल्सियस से कम रहता है।एवं रात्रि का तापमान काफी कम हो जाता है।जो पंजाब और राजस्थान में हिमांक (0° सेल्सियस) से भी नीचे चला जाता है।

शीत ऋतु में उत्तरी भारत में अधिक ठंड पड़ने के मुख्य रूप से तीन कारण हैं –

(1) पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य समुद्र के समकारी प्रभाव से दूर स्थित होने के कारण महाद्वीपीय जलवायु का अनुभव करते हैं।

(2) निकटवर्ती हिमालय की श्रेणियों में हिमपात के कारण शीत लहर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

(3) फरवरी के आस पास कैस्पियन सागर और तुर्कमेनिस्तान की ठंडी पवनें उत्तरी भारत में शीत लहर ला देती हैं। ऐसे अवसरों पर देश के उत्तरी पश्चिमी भागों में पाला व कोहरा भी पड़ता है।

प्रायद्वीपीय भारत में कोई निश्चित शीत ऋतु नहीं होती।तटीय भागों में भी समुद्र के समकारी प्रभाव तथा भूमध्य रेखा की निकटता के कारण ऋतु के अनुसार तापमान के वितरण पृतिरूप में शायद ही कोई बदलाव आता हो। उदाहरणत: तिरुवंतपुरम में जनवरी के मध्य अधिकतम तापमान 31° सेल्सियस तक रहता है। जबकि जून में यह 29.5 ° सेल्सियस पाया जाता है।

पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर तापमान अपेक्षाकृत कम पाया जाता है। तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता है। पूर्वी तट पर चेन्नई का औसत तापमान 24° सेल्सियस से 25° सेल्सियस के बीच रहता है। जबकि उत्तरी मैदान में यह 10° सेल्सियस से 15 ° सेल्सियस के बीच रहता है। इस ऋतु में दिन गर्म तथा रातें ठंडी रहती हैं। इस मौसम में आसमान साफ, तापमान तथा आद्रता कम एवं पवनें शिथिल तथा परिवर्तित होती हैं।

ग्रीष्म ऋतु (Summer Season ) :-

मार्च में सूर्य के कर्क रेखा को आभासी बढ़त के साथ ही उत्तरी भारत में तापमान बढ़ने लगत है।अप्रैल, मई व जून में उत्तरी भारत में स्पष्ट रूप से ग्रीष्म ऋतू होती है। भारत के अधिकांश भागों में तापमान 30° c से 32 °c तक पाया जाता है। मार्च में दक्कन पठार पर दिन का अधिकतम तापमान 38°c हो जाता है। जबकि अप्रैल में गुजरात और मध्य प्रदेश में यह तापमान 38° c से 46°c के बीच पाया जाता है। मई में ताप की यह पेटी और अधिक उत्तर में खिसक जाती है। जिससे देश के उत्तर पश्चिमी भागों में 48° c के आस पास तापमान का होना simple बात है। मई के अंत में उत्तर पश्चिम में थार के रेगिस्तान से लेकर पूर्व एवं दक्षिण पूर्व में पटना तथा छोटा नागपुर पठार तक एक निम्न दाब का एक लंबवत क्षेत्र उत्पन्न होता है।

दक्षिणी भारत में ग्रीष्म ऋतु मृदु होती है क्योंकि समुद्र के समकारी प्रभाव के कारण यहाँ का तापमान लगभग स्थिर रहता है।अत: दक्षिण में तापमान 26° se 32° सेल्सियस के बीच रहता है।पश्चिमी घाट के कुछ क्षेत्रों में ऊंचाई के कारण तापमान 25°c से कम हो जाता है।

भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून के प्रवाह की दिशा दक्षिण – पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर होती है।शीत काल में इसकी दिशा उत्तर – पूर्व से दक्षिण – पश्चिम की ओर होती है। ग्रीष्म ऋतु में उच्च तापमान के कारणउत्तर पश्चिम भारत में निम्नदाब की हवाऐं प्रवेश करती हैं।तटीय भागों में समताप रेखाएँ तट के समांतर उत्तर दक्षिण दिशा में फैली है, जो प्रमाणित करती है कि तापमान उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत की ओर न बढ़कर तटों से भीतर की ओर बढती है। गर्मी के महीनों में औसत न्यूनतम दैनिक तापमान भी काफी ऊंचा रहता है। जो 26°c से नीचे रहता है।राजस्थान के चुरू जिले में जून के महीने के किसी एक दिन का तापमान 50°c अथवा इससे अधिक हो जाता है।राजस्थान के मरुस्थल में स्थित जैसलमेर तथा बीकानेर बहुत गर्मस्थान है।

ग्रीष्म ऋतु में आने वाले कुछ प्रसिद्ध स्थानीय तूफ़ान :-

आम्र वर्षा :-

Karnatak एवं केरल में ग्रीष्म ऋतु के खत्म होते होते मानसून पूर्व होने वाली वर्षा फुहार है। स्थानीय तौर पर इस तूफानी वर्षा को आम्र वर्षा कहा जाता है।क्योंकि यह आम की फसल के लिए अत्यधिक लाभकारी है। यह वर्षा बंगाल की खाडी से उत्पन्न तूफानों के फलस्वरूप अप्रैल माह में होती है। इस वर्षासे आम के बौ रे पेड़ से टूट कर गिरते नहीं है।

इस वर्षा से केरल व निकटवर्ती कहवा उत्पादक क्षेत्रों में कहवा के फूल उगने लगते हैं।

ये असम और पश्चिम बंगाल में बैशाख के महीने में शाम को चलने वाली विनाशकारी वर्षायुक्त पवनें हैं।

इनकी कुख्यात प्रकति का अंदाजा इनके स्थानीय नाम काल बैशाख से लगाया जा सकता है।इसका अर्थ बैसाख के महीने में आने वाली तबाही है। चाय, पटसन व चावल के लिए ये पवनें अच्छी मानी जाती हैं।

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