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मृदा या मिट्टी प्रदूषण (Soil Pollution) का क्या अर्थ है ? मृदा प्रदूषण के कारण तथा प्रभाव क्या हैं ? मृदा प्रदूषण को रोकने के उपाय | Essay on Soil Pollution – Soil Pollution in Hindi

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Essay on Soil Pollution

Hello फ्रेंड्स स्वागत है आपका careerjankari.in में | आज के टॉपिक में हम अपने लेख द्वारा आपको बताने जा रहे हैं मृदा या मिट्टी प्रदूषण ( Soil pollution) , Essay on Soil Pollution in Hindi के बारे में। हमने छात्रों की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न शब्द सीमाओं के तहत मिट्टी प्रदूषण या मृदा प्रदुषण पर निबंध दिया है। मिट्टी प्रदूषण का निबंध विशेष रूप से स्कूल या विद्यालय के बाहर निबंध लेखन प्रतियोगिता में छात्रों की मदद करने के लिए सरल और आसान शब्दों का उपयोग करके लिखा गया हैं। इस लेख के माध्यम से आप अपने एक्जाम में अच्छे मार्क्स प्राप्त कर सकते हैं।

What is soil pollution? Causes and effect of soil pollution. Control of soil pollution explain in Hindi :-

Essay on Soil Pollution

Soil Pollution in Hindi

पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह की उथली परतों को मृदा (Soil) या मिट्टी कहते हैं, जिसका निर्माण मिट्टी से ठीक नीचे चट्टानों के विघटन (Decomposition) और उन पर कार्बनिक पदार्थों (Organic Matter) के फलस्वरूप होता है । जल, वायु आदि की भाँति मृदा (Soil) या मिट्टी भी जीव धारियों के लिए परम आवश्यक कारक है । वनस्पति, अनाज और पेड़ पौधों की जननी मिट्टी ही है। साफ मिट्टी पेड़ पौधों, पशुओं और मनुष्यों के विकास के लिए बहुत ही जरूरी है। मिट्टी में विविध लवण, खनिज, कार्बनिक पदार्थ, गैसें एवं जल एक निश्चित अनुपात में होते हैं, लेकिन जब इन भौतिक एवं रासायनिक गुणवत्ता में अतिक्रम आता है, तो इससे मृदा में प्रदूषण हो जाता है।

मिट्टी या मृदा प्रदूषण का क्या अर्थ है ? ( What is the soil pollution ) :-

मृदा प्रदूषण उपजाऊ भूमि की मिट्टी का प्रदूषण है जो कि धीरे-धीरे उर्वरक और औद्योगिकीकरण के उपयोग के कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। रसायनिक खादों, कीटनाशक दवाइयाँ, औद्योगिक कचरों आदि के इस्तेमाल के द्वारा छोड़े गये जहरीले तत्वों के माध्यम से मिट्टी प्रदूषित हो रही है जो बुरी तरह से भूमि की उर्वरता को भी प्रभावित कर रहा है। रसायनों के माध्यम से मिट्टी में अवांछनीय बाहरी तत्वों के भारी सघनता की उपलब्धता के कारण मृदा प्रदूषण मिट्टी के पोषकता को कमजोर कर रहा है।आधुनिक समय में पूरी मानव बिरादरी के लिए मृदा प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन गया है।

स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिए मिट्टी सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। जहाँ यह कई छोटे-छोटे जानवरों का घर है वहीँ यह पौधों का जीवन भी है। मिट्टी का मनुष्यों द्वारा जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए विभिन्न फसलों के उत्पादन के लिए भी उपयोग किया जाता है। ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी हैं।

मिट्टी या मृदा के प्रदूषित होने के क्या कारण हैं ? ( Causes of Soil pollution) :-

मृदा के भौतिक , रासायनिक अथवा जैविक गुणों में ऐसा कोई भी परिवर्तन , जिसका प्रभाव मानव और अन्य जीवों पर पड़े या जिससे मृदा की प्राकृतिक दशाओं , गुणवत्ता एवं उपयोगिता में कमी आये , भूमि प्रदूषण कहलाता है। अवांछित पदार्थों और कई स्रोतों से विषाक्त रसायनों के विभिन्न प्रकार अलग-अलग अनुपात में मिलकर पूरी मृदा के प्रदूषण का कारण बनते है। कीटनाशकों, उर्वरक, रसायन, रेडियोधर्मी अपशिष्ट, जैविक खाद, अपशिष्ट भोजन, कपड़े, प्लास्टिक, कागज, चमड़े का सामान, बोतलें, टिन के डिब्बे, सड़े हुए शव आदि जैसे प्रदूषक मिट्टी में मिल कर उसे प्रदूषित करते हैं जो मृदा प्रदूषण का कारण बनता है।

लोहा, पारा, सीसा, तांबा, कैडमियम, एल्यूमीनियम, जस्ता, औद्योगिक अपशिष्ट, साइनाइड, एसिड, क्षार आदि जैसे विभिन्न तरह के रसायनों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषक मृदा प्रदूषण का कारण बनते हैं। अम्लीय वर्षा भी एक प्राकृतिक कारण है जो मिट्टी की उर्वरता को सीधे प्रभावित करती है। ऐसे रसायन धीरे-धीरे मिट्टी और फिर पौधों के माध्यम से अंततः जानवरों और मनुष्यों के शरीर तक पहुँच कर खाद्य श्रृंखला के माध्यम से अवशोषित हो जाते हैं।

मृदा प्रदूषित होने के कारण निम्नलिखित हैं –

(1) भौतिक या प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा । (2) मानवजनित प्रकिया द्वारा

प्रदूषण किसे कहते हैं ? प्रदूषण के प्रकार व रोकने के उपाय – Pollution Kya Hai | Pollution Essay in Hindi – Essay on Pollution in Hindi

(1) भौतिक प्रक्रिया द्वारा मृदा प्रदूषण :-

(a) मृदा खनन या अपरदन :-

मृदा अपरदन की क्रियाविधि में मिट्टी के कणों का अलग अलग होना या ढीला होना तथा उनका परिवहन शामिल होता है। अर्थात कृषि के अंतर्गत जब खेत की मिट्टी का ऊपरी परत विभिन्न कारणों जैसे कि पानी कि तेज धारा, तेज गति से बहते हुए हवा आदि के कारण मिटने लगता है, तब यह प्रक्रिया होती है। हालाँकि इन दोनों के बीच एक प्रकार का संतुलन बना रहता है। लेकिन कई दूसरे कारक (कोई अन्य प्राकृतिक एवं मानव निर्मित) हैं जो इस संतुलन को बिगाड़ने का काम करते हैं जिससे मृदा अपरदन और तेजी से होता है।हवा से होने वाले अपरदन शुष्क एवं अर्ध शुष्क (arid & semi-arid) भागों में देखे जाते हैं। जहाँ भारी बारिश होती है एवं खड़ी ढलान (steep slope) पाए जाते हैं |


वहां पानी से होने वाले अपरदन देखे जाते हैं। रिल अपरदन में बहुत सारे छोटे छोटे नाले बन जाते हैं। शीट अपरदन होने के बाद जब  पानी अधिक मात्रा में बहने लगता है, तो इस प्रकार के होने का कारण बनता है। अगर यह खेती वाले भाग में हो तो काफी मात्रा में उपजाऊ मिट्टी का कटाव होता है।

(b) ज्वालामुखी विस्फोट से मृदा प्रदूषण :-

मृदा प्रदूषण ज्वालामुखी के फटने से भी होता है। जिस जमीन पर ज्वालामुखी फटता है वहाँ की जमीन बंजर हो जाती है। क्योंकि ज्वालामुखी से निकलने वाला पदार्थ या लावा उस जमीन को जला देता है। तथा वहाँ पर कृषि योग्य भूमि नही रह पाती।

मानवजनित क्रियाकलापों द्वारा मृदा प्रदूषण :-

(a) कृषि द्वारा मृदा प्रदूषण :-

कृषि क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले कृषि रसायन विशेष रूप से उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। इन क्षेत्रों के पानी से निकलने वाले उर्वरक जल निकायों में यूट्रोफ़िकेशन का कारण बन सकते हैं। कीटनाशक जहरीले रसायन होते हैं जो मनुष्य और जानवरों को प्रभावित करते हैं , जो सांस की समस्याओं, कैंसर और मृत्यु का कारण बन सकते हैं। तथा बढ़ती जनसंख्या की खाद्यान संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति की दृष्टि से गहन कृषि द्वारा अन्न उत्पादन पर बल दिया जा रहा है।

( b) वनोन्मूलन द्वारा मृदा प्रदूषण :-

वन मृदा निर्माण में जैविक तत्व प्रदान करते हैं। और भूरक्षण नियंत्रित करते हैं। जिन क्षेत्रों में वनों का विनाश बड़े स्तर पर हुआ है। वहाँ की जैवकीय गुण समाप्त हो रहे हैं।

( c) अकृषीय कारक :-

मृदा प्रदूषण के अकृषीय स्रोत के अंतर्गत शहरीकरण , औद्योगीकरण, बढती हुयी जनसंख्या , प्रति व्यर्थ पदार्थ का अधिक व्यय, आधुनिकीकरण, रहन सहन के तरीकों में बदलाव आदि प्रमुख है।

(d) औद्योगिक कचरा :-

उद्योग प्रधान नगरों में इस प्रकार के कचरे की ही मात्रा सर्वाधिक होती है। इस कचरे में कुछ जैव अपघट्य, कुछ ज्वलनशील , कुछ विषैले, कुछ अजैविक और कुछ स्थायी किस्म के पदार्थ होते हैं। इसका निपटान बड़े ही सामान्य ढंग से होता है।

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मृदा प्रदूषण को रोकने के उपाय :-

मृदा प्रदूषण रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं-

कूड़े-करकट के संग्रहण, निष्कासन एवं निस्तारण की व्यवस्था। कल-कारखानों से निकलने वाले सीवेज जल को मृदा पर पहुंचने से पूर्व उपचारित करना । कल-कारखानों से निकलने वाले सीवेज जल को मृदा पर पहुंचने से पूर्व उपचारित करना। नगर पालिका और नगर निकायों द्वारा अपशिष्ट का उचित निस्तारण। कीटनाशी, कवकनाशी एवं शाकनाशी आदि का उपयोग कम से कम किया जाए। प्रदूषण प्रतिरोधी वनस्पतियों , पेड़ और पौधे अधिक संख्या में उगाने चाहिए।

ऐसे पौधे सूचक पौधे कहलाते है। पशुओं के गोबर और कृषीय अपशिष्टों का उपयोग खाद बनाकर किया जाना चाहिए।भूमि क्षरण को रोकने के लिए सफल प्रयास किया जाना चाहिए। इसके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

निष्कर्ष ( Conclusion ) :-

मृदा प्रदूषण के अन्य स्रोत नगरपालिका कचरा ढेर, खाद्य प्रसंस्करण अपशिष्ट, खनन अभ्यास और बहुत कुछ हैं। मृदा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है क्योंकि विषाक्त रसायन खाद्य श्रृंखला के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और पूरे आंतरिक शरीर को खराब करते हैं। मृदा प्रदूषण को कम करने और प्रतिबंधित करने के लिए, पर्यावरण संरक्षण कानूनों सहित सभी प्रभावी नियंत्रण उपायों का पालन विशेष रूप से उद्योगपति लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। ठोस कचरे के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग और लोगों के बीच अधिकतम संभव वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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