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राष्ट्रीय युवा दिवस 2021 पर निबंध हिंदी में – National Youth Day 2021 , Swami Vivekanand Jayanti 2021

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राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास :-

प्रत्येक वर्ष देश में 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनाई जाती है। वैश्विक स्तर पर केंद्र सरकार से बात विवाद होने के बाद साल 1984 से स्वामी विवेकानंद जी के जयंती को नेशनल यूथ डे ( राष्ट्रीय युवा दिवस) के रूप में मनाया जाने लगा। बता दें कि स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 January 1863 को कोलकाता में हुआ था। ये भारत के महान दार्शनिक, समाज सुधारक, युवा सन्यासी थे। इनको आधुनिक मानव का आदर्श प्रतिनिधि और भारतीय नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत माना जाता है।

राष्ट्रीय युवा सप्ताह 12 – 19 जनवरी तक मनाया जाता है।

राष्ट्रीय युवा दिवस 2021 की थीम :-

” Channelizing youth power for nation building “

National Youth Day 2021

राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का उद्देश्य :-

” नेशनल यूथ डे ” की शुरुआत युवाओं में जोश , बौद्धिक विकास को बढ़ाने तथा उनके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के उद्देश्य से इस पर्व को मनाये जाने लगा। स्वामी विवेकानंद जी युवाओं के आदर्श हैं इसलिए भारत के युवाओं के बीच स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों, जीवन शैली और विचारों के महत्व को फैलाना है तथा उनके आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।। भारत को विकसित देश बनाने के लिए उनके बड़े प्रयासों के साथ युवाओं के अनंत ऊर्जा को जागृत करने के लिए यह अच्छा तरीका है।

राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजन(क्रिया कलाप ) :-

युवाओं के द्वारा स्कूल , कालेजों में स्वामी विवेकानंद जी पर भाषण, गायन, योगासन, सम्मेलन, संगोष्ठी, गायन और परेड आदि राष्ट्रीय युवा दिवस पर कार्यक्रम किये जाते हैं। भारतीय युवाओं को प्रेरित करने के लिए शिक्षकों द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों को विधार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इस मौके पर रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन के केंद्र और उनकी शाखाओं में बहुत उत्साह के साथ कार्यक्रम का आयोजन होता है।

विश्व धर्म परिषद में प्रतिनिधित्व :-

स्वामी विवेकानंद ने 11 September 1893 को शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था जिसने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ प्रस्तुत किया।

स्वामी विवेकानंद के भाषण की खास बातें :-

(1) अमेरिका के भाइयों और बहनों, आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है। मैं दुनिया की सबसे पुरानी परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूँ। सभी जातियों और संप्रदाय के लाखों – करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आभार व्यक्त करता हूँ।

(2) मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूँ जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकर करते हैं।

(3) जिस तरह अलग – अलग जगहों से निकली नदियाँ अलग – अलग रास्तों से होकर आखिरकार समुद्र में मिल जाती हैं। ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा से अलग – अलग रास्ते चुनता है। ये रास्ते देखने में भले ही अलग लगते हों लेकिन ये सब ईश्वर तक जाते हैं।

( 4) अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज ये मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है । मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का संखनाद सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के क्लेश, चाहे वो तलवार से हो या कलम से और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।

स्वामी विवेकानंद जी द्वारा कहे गए कथन :-

(1) लक्ष्य प्राप्त होने तक उठो ,जागो और रुको नहीं ।

(2) जो गरीबों में, कमजोरों में, और बीमारियों में शिव को देखता है, वो सच में शिव की पूजा करता है।

( 3) मेरा विश्वास युवा पीढ़ी में है,आधुनिक पीढी से मेरे कार्यकर्ता आ जायेंगे।

( 4) उच्चतम आदर्श को चुनो और उस तक अपना जीवन जियो। सागर तरफ देखो न कि लहरों की तरफ।

(5) प्रत्येक आत्मा संभावित परमात्मा है।

( 6) जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।

(7 ) तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, की आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं।

( 8) विश्व एक व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत करने के लिए आते हैं।

(9 ) सत्य को हजारों तरीकों से बताया जा सकता है। फिर भी हर एक सत्य ही होगा।

(10 ) एक समय में एक काम करो। और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

(11 ) स्वतंत्र होने का साहस करो। जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहाँ जाने का साहस करो,और उन्हे अपने जीवन में उतारने का साहस करो।

(12) मस्तिष्क की शक्तियाँ सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केंद्रित होतीं हैं, चमक उठती हैं।

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