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ज्वालामुखी किसे कहते हैं ? ज्वालामुखी का वर्गीकरण । भारत के प्रमुख ज्वालामुखी | What is Volcano in Hindi | Volcano in Hindi

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What is Volcano ? Which type of volcano explain in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज आपको इस ब्लॉग के जरिये बताने वाले हैं ज्वालामुखी यानि Volcanoes के बारे में कि Essay on Volcano in Hindi , volcano essay , Volcano kya hai । दोस्तों यदि आप वोल्कैनो के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को पूरा पढ़िये। दी गई जानकारी के माध्यम से आप अपनी परीक्षा में अच्छे अंक पा सकते हैं।

What is Volcano in Hindi
What is Volcano in Hindi

ज्वालामुखी ( volcano) – What is Volcano in Hindi

ज्वालामुखी विवर या छिद्र युक्त एक ऐसी संरचना है, जिससे लावा, राख और गैस व जल वाष्प का उदगार होता है। ज्वालामुखी क्रिया के अंतर्गत पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा व गैस के उत्पन्न होने से लेकर भू पटल के नीचे व ऊपर लावा के प्रकट होने तथा शीतल व ठोस होने की समस्त पृक्रियाएँ सम्मलित की जाती हैं। लावा का यह उदगार केंद्रीय विस्फोटक के रूप में या दरारी उद्भेदन के रूप में हो सकता है।

ज्वालामुखी विस्फोट की क्रिया कैसे उत्पन्न होती है ?

ज्वालामुखी विस्फोट की क्रिया पृथ्वी की गर्भ में प्लेटों या चट्टानों की हलचल होती है यह हलचल जमीन के अंदर वर्षों की गैसें और ऊर्जा जैसे जियोथर्मल एनर्जी से होती है। यह ऊर्जा इतनी शक्तिशाली होती है की यह बड़ी से बड़ी चट्टानों को अंदर से पिघला देती हैं तब धरती या जमीन के अंदर से दबाव ऊपर की ओर बढ़ता है तो यह पहाड़ ऊपर विस्फोट होता है या फटता है , इस प्रक्रिया को ज्वालामुखी कहते हैं। ज्वालामुखी के फटने के बाद इससे लावा, धुआँ, पिघली हुई चट्टान आदि बहुत तेजी से बाहर निकलते हैं ज्वालामुखी के विस्फोटक प्रवत्ति के अनुसार विभिन्न प्रकार के भूगर्भों का निर्माण करते हैं।

मैग्मा में सिलिका की मात्रा अधिक होने के कारण ज्वालामुखी में विस्फोटक उद्गार देखे जाते हैं, जबकि सिलिका की मात्रा कम रहने पर उद्गार प्राय: शांत रहता है। जैसे कि विस्फोट हल्का या धीमा है तो पठारी भागों या पठार का निर्माण करता है। और यदि ज्वालामुखी का विस्फोट बहुत तेजी से होता है तो यह पहाड़ का भी निर्माण करता है। यह ज्वालामुखी अंतरजनिक् क्रिया का उदाहरण है।

ज्वालामुखी लावा के जमाव से निर्मित आंतरिक स्थलरूपों में बैथोलिथ, किसी भी प्रकार की चट्टानों में मैग्मा का गुंबदमा जमाव है। धीरे धीरे ठंडा होने के कारण इसके रवों या कणों का आकार बड़ा होता है तथा यह ग्रेनाइट प्रकार का होता है। यह अपेक्षाकृत अधिक गहरे भागों में देखा जा सकता है। अपेक्षाकृत कम गहराई पर अवसादी चट्टानों में मैग्मा के अलग – अलग प्रकार से ठंडा होने की प्रक्रिया में कई प्रकार के स्थल रूप देखे जा सकते हैं।


इनमें लैकोलिथ उत्तर ढाल एवं लोपोलीथ अवतल बेसिन में लावा जमाव है, जबकि फेकोलिथ मोड्दार पर्वतों की अभिनीतियों व अपनीतियों में अभ्यंतरिक लावा जमाव से निर्मित होता है। इसी प्रकार सिल व डाइक क्रमश: लावा के क्षैतिज व लंबवत् जमाव हैं। सिल की पतली परत को शीट एवं डाइक के छोटे स्वरूप को स्टैक कहते हैं। ज्वालामुखी के विस्फोटक उद्गार से निर्मित होने वाली स्थलाकृतियों के बाह्य भाग में विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखी शंकुओं का निर्माण होता है। क्रेटर व काल्डेरा जैसे धँसे हुए स्थलरूप ज्वालामुखी शंकुओं के ऊपर बनते हैं।

ज्वालामुखी लावा के उद्गार की घटती तीव्रता के आधार पर ज्वालामुखी शंकुओं को पीलियन तुल्य, वल्कैनो तुल्य, स्ट्रांबोली तुल्य व हवाइयन तुल्य प्रकार में बाँटा गया है।

इनमें पीलियन तुल्य ज्वालामुखी सबसे अधिक विनाशकारी होते हैं, जिसमें सिलिका की अधिक मात्रा के कारण मैग्मा अत्यधिक अम्लीय व चिपचिपा होता है। एवं इसमें प्रत्येक अगला उद्गार पिछले उद्गार से निर्मित ज्वालामुखी शंकु को प्राय: तोड़ते हुए होता है। उदाहरण के लिए मर्तिनिक द्वीप में माउंट पीली, सुमात्रा व जावा के निकट क्राकाताओ तथा फिलीपींस में माउंट ताल। वल्कैनो तुल्य ज्वालामुखी में अम्लीय से लेकर क्षारीय तक प्रत्येक प्रत्येक प्रकार के मैग्मा का उद्गार होता है। इस प्रकार के ज्वालामुखी में गैसों के अत्यधिक निष्कासन के कारण प्राय: फूलगोभी के आकार में ज्वालामुखी के बादल दूर तक छा जाते हैं। विसुवीयस् प्रकार यानि पीलियन प्रकार के ज्वालामुखी उद्गार को भी ईसी वर्ग में रखा जाता है।

स्ट्रैम्बोली तुल्य ज्वालामुखी में अम्ल की कुछ मात्रा कम रहती है तथा गैसों के प्रवाह मार्ग में यदि रुकावट न हो तो सामान्यत: इसमें विस्फोटक के उद्गार नहीं होते।

हवाइयन तुल्य ज्वालामुखी का उद्गार अत्यंत शांत होता है, क्योंकि इसमें निर्मित लावा तरल व क्षारीय होता है एवं दूर तक फैलकर जमा हो जाता है। ऐसा ज्वालामुखी शंकु कम ऊंचाई का व दूर तक फैला हुआ होता है।

ज्वालामुखी का वर्गीकरण ( Types of Volcanoes )

ज्वालामुखी मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं, जोकि निम्नलिखित दिये गये हैं –

(1) सक्रिय ज्वालामुखी ( Active volcano)

(2) प्रसुप्त ज्वालामुखी ( Dormant volcano)

(3) मृत ज्वालामुखी ( Dead or extinct volcano)

सक्रिय ज्वालामुखी (Active volcano )

ये ऐसे ज्वालामुखी हैं जो थोड़े समय – समय पर उद्गार होते रहते हैं। इसी कारण इनमें हमेशा धुआँ निकलता रहता है। अर्थात ऐसे ज्वालामुखी जिनसे लावा, गैस विखंडित पदार्थ सदैव निकलते रहते हैं। वर्तमान समय में इनकी संख्या लगभग 500 है।

सिसली के उत्तर में लीपारी द्वीप का स्ट्रांबोली ( भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ) , इटली का एटना, इक्वेडोर का कोटोपैक्सी ( विश्व का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी) , अंटार्कटिका का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी माउंट एबुर्श तथा अंडमान व निकोबार के बैरन द्वीप में स्थित सक्रिय ज्वालामुखी प्रमुख हैं।

सुषुप्त ज्वालामुखी ( Dormant volcano)

ये वैसे ज्वालामुखी हैं जिनमें निकट उद्गार नहीं हुआ है अर्थात वर्षों से उद्गार नहीं हुआ है, परंतु इनमें कभी भी उद्गार हो सकता है। जैसे –

इटली का विसुवियस, जापान का फ्यूजीयामा ( सक्रिय ज्वालामुखी ) , इंडोनेशिया का क्राकाताओ तथा अंडमान व निकोबार के नारकोंडम द्वीप ( दिसंबर 2004 में आई सुनामी के बाद इसमें सक्रियता के लक्षण दिखे हैं।) इसक प्रमुख उदाहरण हैं।

मृत ज्वालामुखी ( Dead Or extinct volcano)

इसक अंतर्गत ऐसे ज्वालामुखी सम्मलित किये जाते हैं, जिनमें हजारों वर्षों से कोई उद्गार या हलचल नहीं हुई है, तथा भविष्य में इसकी कोई संभावना नहीं है। इसके उदाहरण हैं जैसे – अफ्रिका के पूर्वी भाग में स्थित केन्या व किलिमांजारो, इक्वेडोर का चिम्बराजो, म्यांमार का पोपा, ईरान का देवबंद व कोह सुल्तान एवं दक्षिण अमेरिका में स्थित एंडीज पर्वत श्रेणी का एकांकागुआ इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

भारत के प्रमुख ज्वालामुखी ( Main volcanoes of India)

भारत के अंडमान द्वीपीय क्षेत्र में कुछ ज्वालामुखी पाए जाते हैं-

(1) बैरन द्वीप :- अंडमान सागर स्थित यह ज्वालामुखी दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है।

(2) नारकोंडम :- यह भी अंडमान सागर में स्थित एक प्रसुप्त ज्वालामुखी है।

(3) बारातंग :- यह शांत श्रेणी का एक प्रकार का कीचड़यायुक्त ज्वालामुखी है।

वर्ष 2016 में भारत के अंडमान निकोबार क्षेत्र में स्थित एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरन में पुन: विस्फोटक उद्गार देखने को मिले। हालांकि सागरीय स्थिति होने के कारण आसपास के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर इससे कोई विशेष विनाश की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई ।

ज्वालामुखी आपदा का न्यूनीकरण

ज्वालामुखी उद्गार को न तो रोका जा सकता है और ना ही संपतियों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

परंतु यदि समय रहते उद्गार का पूर्वानुमान कर लिया जाए एवं संभावित आपदा स्थल से लोगों को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया जाये, तो मानव जीवन को बचाया जा सकता है।

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