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पर्यावरण क्या है ? विशेषताएँ, पर्यावरण के क्षेत्र का विभाजन, महत्व, संरचना एवं संघटक :- Environment Kya Hai

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What is environment ? Explain in hindi :-

Environment शब्द फ्रेंच भाषा के “Environ” से बना हुआ है। ‘Environ’ का अर्थ है आसपास का घेरा।

पर्यावरण क्या है ? Environment Kya Hai

पर्यावरण का अर्थ पृथ्वी पर पाये जाने वाले सजीव तथा निर्जीव चीजें अर्थात पृथ्वी पर पाये जाने वाले जल, थल , वायु , पेड़ – पौधे और जीव – जंतुओं का समूह , मानव द्वारा निर्मित वस्तुएँ इत्यादि जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, पर्यावरण कहलाता है।

Environment Kya Hai

डगलस व रोमन हौलेण्ड के अनुसार ” पर्यावरण उन सभी बाहरी शक्तियों व प्रभावों का वर्णन करता है जो प्राणी जगत के जीवन स्वभाव व्यवहार विकास एवं परिपक्वतः को परिभाषित करता है। ”

पर्यावरण के घटक :-

पर्यावरण के मुख्यत: तीन घटक हैं –

(1) प्राकृतिक पर्यावरण (2) मानव निर्मित पर्यावरण (3) मनो- सामाजिक पर्यावरण

प्राकृतिक घटक के अंतर्गत जैविक तथा अजैविक घटक होते हैं।

जैविक घटक :-

जैविक घटक अर्थात बायोटिक जिसमें समस्त प्रकार के जीव – जन्तु , कीड़े – मकोड़े ( जीवधारी ) व वनस्पतियां ( पेड़- पौधों ) (एक कोशकीय से लेकर जटिल कोशकीय तक ) आते हैं और इसक साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएँ और पृक्रियाएँ भी।

अजैविक घटक :-

अजैविक घटक के अंतर्गत जलमंडल , थलमंडल , वायुमंडल समस्त प्राकृतिक दशाएँ , पर्वत , मैदान, प्रकाश, ऊर्जा,ताप इत्यादि सम्मलित हैं।

(2) मानव निर्मित घटक ( कृत्रिम ) :-

मानव निर्मित पर्यावरण के अंतर्गत वे सभी स्थल सम्मलित हैं, जो मानव ने कृत्रिम रूप से निर्मित किये हैं। अत: यातायात के साधन, कृषि क्षेत्र, संचार के साधन, उद्योग, पार्क, इमारत, भवन, वायुपत्तन, अस्त्रशस्त्र, यंत्र, पशुपालन आदि आवश्यकताओं के अनुरूप बनाता आ रहा है।

(3) मनो – सामाजिक पर्यावरण :-

Environmental psychology मानव एवं उसके पर्यावरण के अंतर संबंधों के अध्ययन पर केंद्रित बहुविषयी क्षेत्र है। यहाँ पर पर्यावरण शैक्षिक, सामाजिक, सूचना, सांस्कृतिक, राजनैतिक, आध्यात्मिक क्षेत्रों में मनुष्य के व्यक्तिगत के विकास का अध्ययन करते हैं।

पर्यावरण के क्षेत्र :-

पर्यावरण को चार क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।

(1) स्थल मंडल

(2) जल मण्डल

(3) वायू मण्डल

(4) जैव मण्डल

(1) स्थल मण्डल :-

पृथ्वी के सबसे ऊपर ठोस परत पाई जाती है। यह अनेक प्रकार की चट्टानों, मिट्टी तथा ठोस पदार्थों से मिलकर बनी है। इसे ही स्थल मण्डल में भूमि भाग व समुद्री तल दोनों आते हैं। स्थल मण्डल संपूर्ण पृथ्वी का केवल 3/10 भाग है शेष 7/10 भाग समुद्र ने ले लिया है । इस मण्डल में पर्वत, पठार, मैदान, घाटी और मिट्टी इत्यादि पायी जाती है।

स्थल मण्डल का महत्व:-

(1) यह मण्डल हमें वन, कृषि , रहने के लिए भूमि प्रदान करता है।

(2) स्थल मण्डल पशुओं के चरने के लिए घास प्रदान करता है।

(3) स्थल मण्डल पर रेगिस्तान पाया जाता है।

(4) इस मण्डल पर खनिज,धातु तत्व , लवण पाया जाता है।

(2) जल मण्डल किसे कहते हैं ?

पृथ्वी के स्थल मण्डल के नीचे के भागों में स्थित जल से भरे हुए भाग को जल मण्डल कहते हैं। जैसे झील, सागर व महासागर आदि। 97.3 % जल महा सागरों और सागरों में है शेष 2.7% हिमनदों और बर्फ के पहाड़ों में, मीठे जल की झीलों , नदियों और भूमिगत जल के रूप में पाया जाता है।

जल मण्डल का महत्व :-

(1) जल सभी जीव धारियों के लिए आवश्यक है।

(2) जल मृदा, वनों, कृषि आदि कार्यों के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

(3) जल है तो जीवन है।

(4) जल से बादलों ( वाष्प ) का निर्माण होता है एवं बारिश होती है।

(3) वायुमंडल किसे कहते हैं ?

पृथ्वी के स्थल मण्डल व जल मण्डल के चारों ओर गैस जैसे पदार्थों का आवरण है, जिसे वायुमंडल कहते है।इस के अंतर्गत Nitrogen , Oxygen , carbon dioxide अन्य गैसें, मिट्टी के कण , पानी की भाप इत्यादि शामिल हैं। ये तत्व संतुलन को बनाये रखने के लिए आवश्यक है।

वायुमंडल का महत्व :-

(1) वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण को नियंत्रित रखती है।

(2) वायुमंडल में सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से हमारी रक्षा करती है ।

(3) यह मौसम और जलवायु में परिवर्तन लाता है।

(4) वायुमंडल हमें रेडियो संचार में मदद करता है।

(5) वायुमंडल पक्षियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।

(6) वायुमंडल ऑक्सीजन प्रदान करती है जो सजीवों के जीवन के लिए जरूरी है।

(4) जैव मण्डल क्या है ?

पृथ्वी का वह संकीर्ण क्षेत्र जहाँ स्थल , जल एवं वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं अर्थात जैव मण्डल जीवन को आधार प्रदान करता है। यह एक विकासात्मक प्रणाली है। इसमें अनेक प्रकार के जैविक व अजैविक घटकों का संतुलन पहले से क्रियाशील रहा है। जंतु एवं पादप मिलकर इस मण्डल का निर्माण करते हैं।

जैव मण्डल का महत्व :-

(1) जैवमण्डल में सूर्य से प्राप्त ऊर्जा जीवन को संभव बनाती है।

(2) जैव मण्डल जैविक तथा अजैविक घटकों का योग है ।

पर्यावरण का महत्व :-

सभी जीवधारी पर्यावरण के प्रति सजग रहते हैं। अपने जीवन चक्र को चलाने के लिए पर्यावरण से समायोजन बनाये रखते हैं।पर्यावरण के प्रतिदिन के साथ उनके समायोजन की क्रिया विधि बदलती रहती है। पर्यावरण के दोनों तत्व जैव व अजैव एक दूसरे में इस प्रकार मिश्रित हैं कीउनको अलग कर देखना मुश्किल है । अजैविक तत्वों में जलवायु प्रमुख है। तथा जैविक तत्वों मे मनुष्य प्रमुख है। जलवायु और मनुष्य दोनों तत्वों की भूमिका जीव मण्डल की व्यवस्था व क्रिया शीलता में सर्वोच्च है।

पर्यावरण की दिशा में अनेक अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ कार्यरत हैं जिनमें प्रमुख हैं –

(1) संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण कार्यक्रम :-

इसकी स्थापना 1972 में स्टॉकहोम में हुई थी। इसमें 58 राष्ट् शामिल हैं। संस्था का मुख्यालय केन्या की राजधानी नैरोबी में है।

(2) आधुनिक समाज की चुनौतियों से संबंधित कमेटी पर्यावरण से संबंधित समस्याओं के अध्ययन हेतु 1969 में नाटो देशों द्वारा इसकी स्थापना की गई।

(3) अंतर्राष्ट्रीय जैव कार्यक्रम जैव समस्याओं के अध्ययन हेतु व उसके निवारण हेतु इसकी स्थापना 1963 में की गई थी

(4) विश्व वन्य जीव कोष वन्य जीव के संरक्षण के लिए1961 में इसकी स्थापना की गई। इसका मुख्यालय स्वीटजरलैंड में है।

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