Essay & Poem

प्रदूषण किसे कहते हैं ? प्रदूषण के प्रकार व रोकने के उपाय – Pollution Kya Hai | Pollution Essay in Hindi – Essay on Pollution in Hindi

Pollution Essay in Hindi , Pollution Kya Hai , Pollution Kya Hota Hai , Essay on Pollution in Hindi , Essay on pollution

Essay on Pollution in Hindi :- pollution, Types, Causes & Empacts of Pollution :-

Pollution Essay in Hindi

प्रदुषण क्या है ? – Pollution Kya Hai

दोस्तों आज के इस लेख में हम बात कर रहे हैं प्रदूषण की । जो आज कल की गम्भीर समस्याओं में से एक है। इस निबंध में हमने प्रदूषण का बहुत ही विस्तृत वर्णन किया है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप अपने एक्जाम में अच्छे मार्क प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको हर प्रकार के प्रदूषण के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी |

Essay on Pollution in Hindi

प्रस्तावना :-

आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक गंभीर समस्या बन चुका है। आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण में रहा है, वह दिन-प्रतिदिन खराब होता जा रहा है। प्रदूषण पर्यावरण में गंभीर व्यवधान का कारण बन रहा है। मनुष्य की हमेशा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृद्धि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है। प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्द्धक होता है, परंतु किसी कारणवश यदि वह प्रदूषित हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है।इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रियाकलाप और उनकी जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेवार है।

प्रदूषण का क्या अर्थ है ?

प्राकृतिक असंतुलन का दूसरा नाम प्रदूषण है। प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ होता है दूषित होना या अशुद्ध होना, पर्यावरण यानी हमारे आसपास के क्षेत्र में दूषित पदार्थों के मिश्रण को ही प्रदूषण कहते हैं । हम कह सकते हैं कि पर्यावरण में किसी भी प्रकार का परिवर्तन (भौतिक, रासायनिक या जैविक) जो पर्यावरण के प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता को प्रभावित करें, प्रदूषण कहलाता है| जिसका प्रभाव मनुष्य जीवन व अन्य जीव-जंतुओं पर पड़ता है |हम जानते हैं कि हमें जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा, स्वच्छ जल तथा पोषक तत्व युक्त भोजन चाहिए परंतु आज के इस बदलते दौर में जल,वायु, भूमि या वातावरण की शुद्धता के स्तर में तेजी से गिरावट आती जा रही है। ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे । जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा 

प्रदूषण के प्रकार ( Types of pollution) :-


प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे –

(1) वायु प्रदूषण (Air pollution)

(2) जल प्रदूषण (Water pollution)

(3) ध्वनि प्रदूषण ( Sound Pollution)

(4) मृदा (भूमि) प्रदूषण ( Soil pollution)

(5) तापीय प्रदूषण ( Thermal Pollution)

(6) विकिरण प्रदूषण ( Radiation pollution)

वायु प्रदूषण क्या है ? What is air pollution?

हवा (वायु) का दूषित होना या अपवित्र होना ही वायु प्रदूषण है । वायु मनुष्य के जीवन जीने का आधार है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक निश्चित मात्रा में उपस्थित होती है, और जीवधारी अपनी क्रियाओं तथा सांस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बनडाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखते हैं। उद्योग, चिमनी और कारखानों से निकले हुए धुएं, हानिकारक गैसें जैसे – (CO2, SO2, CO) कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड का मिलना, जिससे वायु मंडल में गैसों का अनुपात बिगड़ता है।इन गैसों में होने वाला परिवर्तन वायु प्रदूषण कहलाता है।

विश्व की बढ़ती जनसंख्या ने प्राकृतिक साधनों का अधिक उपयोग किया है। हरे भरे जंगलों को उजाड़ कर रहने के लिए बस्तियाँ, मकान और आवास बना लिए हैं। कारखानों, चिमनियों तथा उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, कृषि में रासायनों के उपयोग से भी वायु प्रदूषण बढ़ा है। पुराने समय में मानव के आगे वायु प्रदूषण जैसी समस्या सामने नहीं आई क्योंकि प्रदूषण का दायरा सीमित था साथ ही प्रकृति भी पर्यावरण को संतुलित रखने का लगातार प्रयास करती रही। उस समय प्रदूषण सीमित होने के कारण प्रकृति ही संतुलित कर देती थी लेकिन आज मानव विकास के पथ पर अग्रसर है और उत्पादन क्षमता बढ़ा रहा है। इसलिए वह प्राकृतिक चीजों का अत्यधिक दोहन कर रहा है। मानव ने अपने औद्योगिक लाभ हेतु बिना सोचे-समझे प्राकृतिक साधनों को नष्ट किया जिससे प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ने लगा और वायुमंडल भी इससे न बच सका। यह समस्या केवल भारत तक सीमित नहीं है अपितु पूरे विश्व में यह एक चिंताजनक विषय बना हुआ है।

वायु प्रदूषण के कारण :-

वायु प्रदूषण दो प्रकार के होते हैं –

(1) प्राकृतिक वायु प्रदूषण ।

(2) मानव निर्मित संसाधन द्वारा कृत्रिम वायु प्रदूषण।

कुछ प्राकृतिक और कुछ मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के कारक हैं। हालांकि सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण होता है जैसे: धुआं, राख, धूल, धुएं, धुंध, स्प्रे, अकार्बनिक गैसों, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रिक ऑक्साइड और रेडियोधर्मी यौगिक , कोयला और तेल का जलना, हानिकारक गैसों को छोड़ना और कारखानों और मोटर वाहनों के पदार्थ आदि।

वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोतों जैसे, ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी (राख, कार्बन डाइऑक्साइड, धुआं, धूल, और अन्य गैसें), रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों की आग, ब्रह्मांडीय कण, किरण, क्षुद्रग्रह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे , पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। 

वायु प्रदूषण से होने वाले दुष्परिणाम :-

हमारे वायु मण्डल में वायु प्रदूषण के कारण आक्सीजन के स्तर में आती लगातार कमी मानवों के साथ-साथ विभिन्न प्राणियों के लिए भी घातक है। वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव ये है कि इससे वायुमण्डल में लगातार अवांछित रूप से कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन, आक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि हमारे फेफड़ों से होता हुआ शरीर के अंदर जाता रहे तो श्वसन से संबंधित कई तरह की परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं. इसमें आपको उल्टी घुटन, सिर दर्द, आँखों में जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं । तथा इस प्रदूषण के साथ लगातार रहने से कई प्रकार की बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

वायु प्रदूषण होने के कारण उसमें सम्मलित कई प्रकार की हानिकारक गैसें जो वायु मण्डल में जाकर ओजोन परत या ओजोन मंडल से क्रिया करती हैं अर्थात ओजोन मण्डल अन्तरिक्ष से आने वाले हानिकारक विकरणों को अवशोषित करती है। हमारे लिए ओजोन मण्डल ढाल का काम करता है लेकिन जब ओजोन मण्डल की कमी होगी तब त्वचा कैंसर जैसे भयंकर रोग से ग्रस्त हो सकती है। जिनसे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं।

आकाश में धॅुंआ तथा धूल के सूक्ष्म कणों के कारण सूर्य का प्रकाश भूमि तक ठीक से नहीं पहुॅंच पाता जिससे आकाश की निर्मलता घटती है। इससे वायुयानों के चालन में कठिनाई होती है और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।  

वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय :-

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे मुख्य कार्य है कि अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाये जाएँ जिससे वायुमंडल में विचरित करने वाली हानिकारक गैसों की मात्रा कम हो। अतः सड़कों, नहर पटरियों तथा रेल लाइन के किनारे तथा उपलब्ध रिक्त भू भाग पर व्यापक रूप से वृक्ष लगाए जाने चाहिए ताकि हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ- साथ वायुमण्डल भी शुद्ध हो सके। औद्योगिक क्षेत्रों के निकट हरित पट्टियॉं विकसित की जानी चाहिए जिसमें ऐसे वृक्ष लगाए जायें जो चिमनियां के धुंए से आसानी से नष्ट न हो तथा घातक गैस को अवशाेषत करने की क्षमता रखते हो ।

मोटर वाहनों, गाड़ियों आदि का प्रयोग यातायात में कम करें इसकी बजाय इलेक्ट्रिकल गाड़ियों का प्रयोग करें। इससे हवा में घुलने वाली जानलेवा गैस व धुएँ की मात्रा भी काफी कम हो जाएगी।

जीवाश्म ईंधनों जैसे पेट्रोलियम, कोयला , डीजल आदि तरल पदार्थ जो वायुमण्डल को प्रदूषित करते हैं, का प्रयोग कुछ कम करके सारै ऊजा, पवन ऊर्जा जैसी वैकल्पिक ऊर्जाओं का प्रयोग किया जा सकता है।

किसानों द्वारा खाद , उर्वरक कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए जिससे हमारी भूमि बंजर होने से बचे।

सरकार द्वारा यह सख्त रूप से नियम बनाये जाने चाहिए कि उद्योग मालिक जो भी भट्ठा या चिमनी बनाये उसका मापदंड होना चाहिए और व शहर या कस्बे, बस्ती से दूर बनाना चाहिए।

निष्कर्ष (conclusion) :-

विश्व स्तर पर पर्यावर्णीय समस्याओं में से एक गंभीर समस्या वायु प्रदूषण भी है। इन समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इसके कारण हमारे देश में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु हो रही है. यह प्रतिवर्ष दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण जानलेवा है  इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान ही मिट जाएगा। जब तक हम सभी लोग वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है। मनुष्य को अपनी सभ्यता को प्रदूषण से मुक्त करके एक स्वस्थ, शांतिपूर्ण वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए. नियत समय में कार्रवाई करना बुद्धिमानों का कर्तव्य होगा।

x