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बर्ड फ्लू क्या है ? इसे क्या लक्षण हैं ? बर्ड फ्लू के संक्रमण से बचने के उपाय। Bird Flu Kya Hai

Bird flu :- Symptoms, causes, risk and treatment explain in hindi :-

Bird Flu kya hai

बर्ड फ्लू क्या है ? Bird Flu Kya Hai

बर्ड फ्लू इन्फ़्लूएन्जा वायरस का एक प्रकार है । इसे एवियन इनफ्लूएन्जा भी कहा जाता है। इसका प्रसार पक्षियों और मुर्गियों से होता है। यदि बचाव न किया गया तो यह इंसानों के लिए मुसीबत बन सकता है। बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ़्लूएन्जा एक जेनेटिक बीमारी है। अर्थात जानवरों में बहुतायत में पाई जाती है। यह पक्षियों में एक से दूसरे में हवा के जरिये फैलता है। संक्रमण की वजह से प्रभावित पक्षियों की नाक, गले और साँस नली में सूजन आ जाती है। सूजन की वजह से उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है और इससे इनकी मौत हो जाती है। कौआ, मुर्ग़ियाँ, प्रवासी पक्षी आदि इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

इंफ्लुएंजा वायरस की सबसे बड़ी विकृति है कि इसमें दो तरह के परिवर्तन लगातार होते रहते हैं। एक एंटीजनिक शिफ्ट, जिसके तहत एंटीजन प्रकृति में बड़ा परिवर्तन होता है। और दूसरा एंटीजनिक ड्रिफ्ट, जिसमें छोटे- छोटे प्रकार के म्युटेशन वायरस में लगातार होते हैं। यही कारण है कि इन्फ़्लूएन्जा में कोई भी वैक्सीन लंबे समय तक कारगार नहीं होती है।

जब कोई पक्षी इस बीमारी से ग्रस्त होता है तो उनके सम्पर्क में आने वाले इंसान तक यह वायरस पहुँच सकता है। और उन्हें भी बीमार कर सकता है। बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलने पर व्यक्तियों को सावधान कर दिया जाता है जिससे यह वायरस इंसानों तक न फैले।

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क :-

(1) पक्षियों के संपर्क में ना आये अर्थात दूरी बनाये रखें। डोमेस्टिक पोल्ट्री फार्म के पक्षियों के संक्रमित होने के बाद इंसान के बीच इसके फैलने की संभावना काफी बढ़ जाती है. पक्षियों के मल, लार, नाक-मुंह या आंख से स्राव के माध्यम से भी ये बीमारी इंसानों में फैल सकती है।

(2) किसी तरह के पक्षियों के संपर्क में आने पर यदि खांसी, जुकाम, बुखार, गले में दर्द और साँस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।

(3) उल्टी का अहसास होना।

(4) शरीर में दर्द होना।

(5) आँखों में जलन और पानी बहने की समस्या होना।

(6) बर्ड फ्लू के संक्रमण से किडनी का खराब होना

बर्ड फ्लू के संक्रमण से सावधानी बरतें :-

(1) पक्षियों के फूड प्रोडक्ट जैसे चिकन, अंडे आदि का सेवन हो सके तो कुछ दिनों के लिए टाल दें। हो सकता है कि वह व्यक्ति संक्रमित पक्षियों की बीट, पंख, बॉडी, फ्लूड आदि के सम्पर्क में आया हो, जिससे वह बीमारी का वाहक बन सकता है।

(2) पोल्ट्री फार्म में मुर्गे – मुर्ग़ियों के मृत पाये जाने पर इसकी सूचना फ़ौरन पशुपालन विभाग के अधिकारियों और प्रभावित राज्यों में बनाये गए विशेष कंट्रोल रूम को दें।

(3) मास्क और दस्ताने पहनकर पक्षियों को छुएं।

(4) ढाबे में चिकन व अंडे खाते समय ध्यान रखें कि वह पूरी तरह से पका हो। संभव हो तो बाहर चिकन का सेवन ही ना करें।

(5) मृत या जीवित पक्षियों को उठाने के लिए पीपीई किट, मास्क व व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।

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