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शहीद दिवस ( 30 जनवरी 2021) महात्मा गांधी जी की पुण्य तिथि पर निबंध आसान शब्दों में – Essay on Martyrs Day | Essay on martyrs day in hindi

Essay on Martyrs Day 30 January ( Mahatma Gandhi Death Anniversary 2021 ) explain in hindi:-

शहीद दिवस ( सर्वोदय दिवस ) क्यों मनाया जाता है ? :-

प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को शहीद दिवस महात्मा गांधी जी की याद में मनाया जाता है। अर्थात महात्मा गांधी की पुण्य तिथि को शहीद दिवस भी कहते हैं। 30 जनवरी 1948 के दिन पर नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी जब वह बिरला हाउस में गांधी शाम के समय प्रार्थना कर रहे थे। यह सब जानते हैं कि महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए शांतिपूर्ण और अहिंसा का इस्तेमाल किया। की आजादी में अपने प्राण त्यागने और आजादी का लोहा मनवाने वाले ऐसी महान आत्माओं के जाने पर शहीद दिवस कहा गया।  इसलिए भारतीय इतिहास का यह दिन काफी दुखदपूर्ण है। प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी और 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। लेकिन इसके अलावा दो और तारीखे हैं जिसे शहीद दिवस कहा जाता है। 21 अक्टूबर और 17 नवंबर को भी शहीद दिवस कहा जाता है।

Essay on martyrs day in hindi

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शहीद दिवस कैसे मनाया जाता है ?

प्रत्येक वर्ष इस दिन दिन राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रक्षा मंत्री,समेत गणमान्य हस्तियां राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं। साथ ही तीनों सेनाओं के जवान इस मौके पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए उनके सम्मान में अपने हथियार को नीचे छुकाते हैं. इस मौके पर पूरे देश में महात्मा गांधी समेत अन्य शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा जाता है। और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदानों को याद किया जाता है ।

जानें महात्मा गांधी जी के बारे में :-

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था । इनका पूरा नाम मोहन दास करमचंद्र गांधी था। इनके कई और नाम भी हैं जैसे बापू , राष्ट्रपिता, गांधी, महात्मा गांधी इत्यादि। महात्मा गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था जो कि राजकोट के दीवान थे और इनकी माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी ने स्वतंत्रता के लिए सत्य और अहिंसा का रास्‍ता चुना था। 30 जनवरी को गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने बिडला भवन में पूजा करते समय गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसलिए हर साल भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।


महात्मा गाँधी जी की मातृभाषा गुजराती थी। गांधी जी ने अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट से पढ़ाई की थी।गांधी जी जब केवल तेरह वर्ष के थे और स्कूल में पढ़ते थे उसी वक्त पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से उनका विवाह कर दिया गया। 1887 में मोहनदास ने जैसे-तैसे ‘बंबई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिल लिया। अचानक गुजराती से अंग्रेजी भाषा में जाने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में कुछ दिक्कत होने लगी। उनके युवा मन में इंग्लैंड की छवि ‘दार्शनिकों और कवियों की भूमि,सम्पूर्ण सभ्यता के केन्द्र’ के रूप में थी। सितंबर 1888 में वह लंदन पहुंच गए। वहां पहुंचने के 10 दिन बाद वह लंदन के चार कानून महाविद्यालय में से एक ‘इनर टेंपल’में दाखिल हो गए।

1906 में टांसवाल सरकार ने दक्षिण अफीका की भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए विशेष रूप से अपमानजनक अध्यादेश जारी किया। भारतीयों ने सितंबर 1906 में जोहेन्सबर्ग में गांधी के नेतृत्व में एक विरोध जनसभा का आयोजन किया और इस अध्यादेश के उल्लंघन तथा इसके परिणामस्वरूप दंड भुगतने की शपथ ली। इस प्रकार उनके दिमाग में सत्याग्रह का जन्म हुआ, जो वेदना पहुंचाने के बजाय उन्हें झेलने, विद्वेषहीन प्रतिरोध करने और बिना हिंसा किए उससे लड़ने की नई तकनीक थी। इसके बाद दक्षिण अफीका में सात वर्ष से अधिक समय तक संघर्ष चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी के नेतृत्व में भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने अपने शक्तिशाली प्रतिपक्षियों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा। सैकड़ों भारतीयों ने अपने स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाले इस कानून के सामने झुकने के बजाय अपनी आजीविका तथा स्वतंत्रता की बलि चढ़ना ज्यादा पसंद किया।

गांधी जी भारत लौटे

गांधी जी का अपना पहला सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारन जिले से शुरू हुआ। अंग्रेजी हुकूमत यहाँ के नील बाग़ानों के मालिकों का शोषण किया करते थे, इसको देखते हुए राजेंद्र प्रसाद ने गांधी जी को बुलाया था। उसके बाद खेड़ा आंदोलन गुजरात में हुआ जोकी सफल हुआ। उन्होंने असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आंदोलन,भारत छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। तथा अहिंसा का मार्ग करअपनाते हुए पूरे देश को एक सूत्र धारा में पिरो दिया। और आगे अहिंसा का पालन करते हुए भारत को स्वतंत्रता दिलायी।

गांधी जी की मृत्यु

नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी को गोली मारकर हत्या की थी। गांधी जी की प्रार्थना सभा को कवर करने मदान बिडला भवन रोज जाते थे। । वही गोडसे ने गांधी जी को छाती में तीन गोलियां मारी थी। महात्मा गांधी के अंतिम शब्द हे! राम थे। गांधी जो को गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा सदस्य था। उसने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया तथा वह गांधी के अंहिसावादी सिद्धांत का विरोधी था। महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार किया गया और उस पर मुकदमा चला। पंजाब हाई कोर्ट में 8 नवंबर, 1949 को उसका ट्रायल हुआ। 15 नवंबर, 1949 को उसे अंबाला जेल में फांसी की सजा दी गई।

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