Desi Health Tips

सूर्य नमस्कार योग कैसे करें ? सूर्य नमस्कार के चरण व लाभ | Surya Namaskar Kaise Karte Hain – Surya Namaskar ke fayde

सूर्य नमस्कार कैसे करें , सूर्य नमस्कार के लाभ , Surya Namaskar Kaise Karte Hain , Surya Namaskar ke fayde , Surya Namaskar Yog , Benifits of Surya Namaskar , what is Surya Namaskar in Hindi , Surya Namaskar in Hindi , Surya Namaskar kaise kare

नमस्कार दोस्तों कैरियर जानकारी के इस ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज के इस ब्लॉग में हम Surya Namaskar kaise kare , Surya Namaskar Kaise Karte Hain के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे तो आइए जानते हैं विस्तार से :-

What is Surya Namaskar? Health benifit of surya Namaskar explain in Hindi :-

Surya Namaskar Kaise Karte Hain

सूर्य नमस्कार योग क्या है ?

Sun यानि सूर्य energy का सबसे बड़ा स्रोत है। इसी वजह से प्राचीन ऋषि-मुनि सूर्य की पूजा-अर्चना करते थे। सूर्य नमस्कार’ का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है।  सूर्य नमस्कार से केवल शारीरिक लाभ के लिए है, बल्कि मानसिक और अध्यात्मिक लाभ का भी श्रोत है। अगर आप योग की शुरुआत कर रहे हैं तो इसके लिए ‘सूर्य नमस्कार’ का अभ्यास सबसे बेहतर है। यह आपको एक साथ 12 योगासनों का फायदा देता है और इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा जाता है। इस अभ्यास के द्वारा हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाडि़यां क्रियाशील हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं।

विश्व भर में कई लोग योगा से जुड़े हुए हैं और रोजाना कई प्रकार के योगा से जुड़े हुए आसन करते हैं।योगा के तहत ही सूर्य नमस्कार भी किया जाता है  सूर्य नमस्कार में बारह आसन होते हैं, योग के निरंतर अभ्यास से इन आसनों को सिद्ध (जब आसन करने में साधक प्रवीण हो जाए और आसनों के लाभ मिलने लगे) किया जाता है। सूर्य उर्जा का अक्षय भंडार है, लाखों वर्षों से देश में सूर्य आराधना का प्रचलन है। सूर्य आराधना विशिष्ट मन्त्रों के साथ श्वास-प्रश्वास को संतुलित करते हुए की जाती है जो की बहुत प्रभावशाली होती है।

सूर्य नमस्कार या प्रणाम करने के दौरान ब्रह्मांड से शरीर को ऊर्जा मिलती है, जो कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। सूर्यनमस्कार को करने के मुख्य दो कारण है। पहला कारण–सूर्य नमस्कार पूरे शरीर के लिए एक अच्छा व्यायाम है। इसको करने से मांसपेशियों में खींचाव, लचीलापन और लयबद्धता बनती है जो की वज़न घटाने में भी बहुत अधिक लाभदायक है। यह शारीरिक स्तर से परे कई स्वास्थ्य लाभ, मन को आराम और ध्यान करने के लिए एकाग्रता प्रदान करता है। दूसरा कारण- सूर्य नमस्कार हमें सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है जिसके बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है।

सूर्य नमस्कार का हमारे जीवन से संबंध :-

सूर्य नमस्कार का मतलब है, सुबह में सूर्य के आगे झुकना। सूर्य इस धरती के लिए जीवन का स्त्रोत है। सूर्य नमस्कार आपके दूसरे मस्तिष्क को जोड़ता है जो कि आपकी नाभि में सूर्य से स्थित माना जाता है जिससे आपकी बुद्धि में वृद्धि होती है। दैनिक व्यायाम योजना में सूर्य नमस्कार को शामिल करने से मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण हासिल करने में मदद मिलती है। और इसे 12 चरणों के तहत किया जाता है. इन चरणों के अलग अलग नाम होते हैं और इनको अलग अलग तरह से किया जाता है।

योग शरीर व मन का विकास करता है। इसके अनेक शारीरिक व मानसिक लाभ हैं  । सूर्य नमस्कार को महिला, पुरुष, बच्चों और हर आयु के लोगों द्वारा किया जाता है और जो लोग नियमित रूप से इसे करते हैं उनका शरीर सेहतमंद रहता है। यदि आप इस आसन के विभिन्न आसनों पर करीब से नज़र डालते हैं, तो आपको महसूस होगा कि इसमें शरीर का लगभग हर हिस्सा शामिल है और इस तरह इन सभी पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि, यह सभी अजीब-दिखने वाले पोज़ के बारे में नहीं है। रहस्य आपके श्वास के साथ शारीरिक क्रियाओं को सिंक्रनाइज़ करने में निहित है।

वास्तव में, योग सांस लेने पर बहुत ज़ोर देता है और इसमें आसन (व्यायाम) होते हैं जो केवल सांस लेने पर केंद्रित होते हैं। एक ग्राउंड नियम के रूप में, जब शरीर को फैलाता है या फैलता है और जब यह सिकुड़ता है तो साँस छोड़ना चाहिए।

सूर्य नमस्कार कैसे करें ? | Surya Namaskar Kaise Karte Hain

सूर्य नमस्कार एक प्रकार का शारीरिक क्रिया होति है जो कि सूर्योदय के समय  की जाती है और इसलिए इसको सूर्य नमस्कार कहा जाता है. पर इसका अभ्यास सुबह खाली पेट किया जाता है। सुबह के समय खुली जगह पर इसे करें, जहां आपको ताजा हवा मिले। अच्छे स्वास्थ्य के अतिरिक्त सूर्य नमस्कार धरती पर जीवन के संरक्षण के लिए हमें सूर्य के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी देता है। अगले 10 दिनों के लिए अपना दिन, मन में सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार और कृपा का भाव रखकर प्रारंभ करें।

सूर्य नमस्कार की शुरुआत करने से पहले सूक्ष्म रूप वाले व्यायाम करना चाहिए जिससे हमारा शरीर व्यायाम करने की स्थिति में आ सके।

सूर्य नमस्कार के 12 आसनों की विधि :-

Surya Namaskar kaise kare

दोनों पैरों की एडियां मिली हुईं, पंजे खुले हुए , पैरों से सिर तक का भाग सरलता से सीधा करके खड़े हों। दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों। नेत्र बंद करें। ध्यान ‘आज्ञा चक्र’ पर केंद्रित करके ‘सूर्य भगवान’ का आह्वान ‘ॐ मित्राय नमः’ मंत्र के द्वारा करें।

प्रथम स्थिति (1) :- प्रणाम या अंजलि मुद्रा ( The Prayer Pose)

चटाई पर खड़े हो जाये, अपने पैरों को एक साथ रखें और अपने वजन को दोनों पैरों पर संतुलित करें। अपनी आंखों को बंद करके तथा मन को शांत और एकाग्र चित करके अपने कन्धों को ढीला छोड़ें फिर दोनों हाथो को उठाकर सामने लाये और सांस छोड़ते हुए हथेलियों को आपस में जोड़कर अपनी छाती या वक्षस्थल के सामने नमस्कार मुद्रा में लाएं और सूर्य नमस्कार श्लोक का आवाहन करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं प्रणाम मुद्रा।

द्वितीय स्थिति (2) :- हस्तउत्तानासन (Hasta Uttanasana – Raised Arms Pose)

   सूर्य नमस्कार के अब दूसरे स्टेप में सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों के पास सटाते हुए ऊपर की ओर स्‍ट्रेच करें और कमर से पीछे की ओर झुकते हुए भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। इस आसन के दौरान गहरी और लंबी सांस भरने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा इसके अभ्यास से हृदय का स्वास्थ्य बरकरार रहता है। पूरा शरीर, फेफड़े, मस्तिष्क अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं।सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की इस स्थिति को कहा जाता है, हस्तउत्तानासन।

तृतीय स्थिति (3) :- हस्तपाद आसन या पाद-हस्तानासन ( पश्चिमोत्तनासन )(Padahastasana – Standing Forward Bend)

सूर्य नमस्कार की यह खासियत होती है कि इसके सारे चरण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। सबसे पहले सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकिए। इस आसन में हम अपने दोनों हाथों से अपने पैर के अंगूठे को पकड़ते हैं, और पैर के टखने भी पकड़े जाते हैं। चूंकि हाथों से पैरों को पकड़कर यह आसन किया जाता है इसलिए इसे पदहस्‍तासन कहा जाता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। 

चतुर्थ स्थिति :- अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana – Equestrian Pose)

इसी स्थिति में श्वांस को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। फिर दाएं घुटने को जमीन पर रखें और नजरें ऊपर आसमान की ओर रखें। इस दौरान ये कोशिश करें कि आपका बायां पैर दोनों हथेलियों के बीच में ही रहे। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को ‘स्वाधिष्ठान’ अथवा ‘विशुद्घि चक्र’ पर ले जाएं। मुखाकृति सामान्य रखें।

पंचम स्थिति :- दंडासन ( Dandasana – Staff Pose)

श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान ‘सहस्रार चक्र’ पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की इस स्थिति को कहा जाता है, दंडासन।

षष्ठम स्थिति :- अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara – Eight Limbed pose or Caterpillar pose)

इस स्थिति में सांस लेते हुए शरीर को जमीन के बराबर में साष्टांग दंडवत करें और घुटने, सीने और ठोड़ी को जमीन पर लगा दीजिए। जांघों को थोड़ा ऊपर उठाते हुए सांस को छोडें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। ध्यान को ‘अनाहत चक्र’ पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।

सप्तम स्थिति :- भुजंगासन (Bhujangasana – Cobra Pose)

इस आसन में आपको अपने शरीर को ऊपर की ओर ले जाना है। दोनों हाथों को जमीन पर स्थिर रखें और अपने दोनों पैरों को पीछे की ओर फैला दें। अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को धीरे धीरे ऊपर की ओर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए नाक से हवा लेते हुए ऊपर उठाएं।  स्लाइड करें और छाती को साँप की मुद्रा मे बनाये। जैसे ही श्वास लेते हैं, सीने को आगे बढ़ाने का प्रयास करें।  जितना संभव हो सके कोहनी को मोड़े ओर रीढ़ की हड्डी को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करें ।

अष्ठम स्थिति :- अधोमुख शवासन (Adho Mukha Svanasana – Downward-facing Dog Pose)

इसे पर्वतासन भी कहा जाता है। इसके अभ्यास के लिए अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें और कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं। सांस छोड़ते हुए कंधों को सीधा रखें और सिर को अंदर की तरफ रखें।

नवम स्थिति :- अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana – Equestrian Pose)

इस स्थिति में साँस को भरते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाएँ। छाती को खींचकर आगे की ओर ताने। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाए। तंग तनी हुए सीधी पीछे की ओर खिचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय के लिए रुके। अपने ध्यान को स्वाधीस्तान पर ले जाए।

दशम स्थिति :- हस्तपाद आसन (Hastapadasana – Standing Forward Bend)

सूर्य नमस्कार के अब दसवें स्टेप में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए बाएं पैर को आगे लाएं और हथेलियों को जमीन पर रखें। धीमे-धीमे अपने घुटनों को सीधा करें। हथेलियों को ज़मीन पर लगाकर रखें और सर नीचे की तरफ रहेगा और घुटनों को थोड़ा मुड़ा भी रहने दे सकतें हैं। अगर संभव हो तो अपनी नाक को घुटनो से छूने का प्रयत्न करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं हस्तपाद आसन।

एकादश स्थिति :- हस्तउत्थान आसन (Hasta Uttanasana – Raised Arms Pose)

पादहस्तासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद हस्तउत्तनासन की मुद्रा में वापस आ जाएं। इसके लिए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।

द्वादश स्थिति :-प्रणाम मुद्रा (Pranamasana – The Prayer Pose)

यह स्थिति पहली मु्द्रा की तरह है अर्थात नमस्कार की मुद्रा। बारह मुद्राओं के बाद पुन: विश्राम की स्थिति में खड़े हो जाएं। अब इसी आसन को पुन: करें। सूर्य नमस्कार शुरुआत में 4-5 बार करना चाहिए और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 12-15 तक ले जाएं।

सूर्य नमस्कार करने के लाभ :- Surya Namaskar ke fayde

(1) सूर्य नमस्कार करने के अनगिनत फायदे हैं। सूर्य नमस्कार करने से मोटापा दूर होता है, मन की एकाग्रता बढ़ती है, शरीर में लचीलापन आता है, पेट ठीक रहता है, सुंदरता में निखार आता है तथा शरीर की खराब मुद्रा भी ठीक हो जाती है।  सूर्य नमस्कार पूरे शरीर में रक्त के परिसंचरण में सुधार लाता है। शरीर की सभी प्रणालियों – जैसे कि पाचन, श्वसन, प्रजनन, तंत्रिका और अन्तःस्त्रावी ग्रंथि – को संतुलित करता है। मानसिक शांति और धैर्य प्रदान करता है।

(2) सूर्य नमस्कार करने से शरीर के हर भाग पर जोर पड़ता है,  जिससे आपके शरीर में रक्त प्रवाह की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे वहां की चर्बी धीरे धीरे गलने लगती है। अगर आप मोटे हैं तो सूर्य नमस्कार रोज करें।

(3) रोजाना 10-15 मिनट सूर्य नमस्कार करने से शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ता हैं। इससे आपके शरीर को ऊर्जा मिलती है,जोकि आपको बीमारियों से बचाती हैं। अर्थात आसनों के दौरान सांस साँस खींचना और छोड़ने से फेंफड़े तक हवा पहुंचती है. इससे खून तक ऑक्सीजन पहुंचता है जिससे शरीर में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड और बाकी जहरीली गैस से छुटकारा मिलता है।

(4) यदि किसी महिला को अनियमित मासिक चक्र की शिकायत है, तो सूर्य नमस्कार के आसन करने से परेशानी दूर होगी। इन आसनों को रेगुलर करने से बच्चे के जन्म के दौरान दर्द बाद कम होता है।

(5) सूरज के सामने सूर्य नमस्कार करने से शरीर में विटामिन डी जाता है, जिससे खूब सारा कैल्शियम हड्डियों द्वारा सोख लिया जाता है।सूर्य नमस्कार करते वक्त लंबी सांस भरनी चाहिए, जिससे शरीर रिलैक्स हो जाता है। इसे करने से बेचैनी और तनाव दूर होता है तथा दिमाग शांत होता है।

x